जो जाहिर करना पड़े,
वो दर्द कैसा,
और जो दर्द न समझ सके,
वो हमदर्द कैसा.
जो जाहिर करना पड़े,
वो दर्द कैसा,
और जो दर्द न समझ सके,
वो हमदर्द कैसा.
Jo Jahir Karna Pade,
Vo Dard Kaisa,
Aur Jo Dard Na Samaj Sake,
Vo Humdard Kaisa.
जो जाहिर करना पड़े,
वो दर्द कैसा,
और जो दर्द न समझ सके,
वो हमदर्द कैसा.
जो जाहिर करना पड़े,
वो दर्द कैसा,
और जो दर्द न समझ सके,
वो हमदर्द कैसा.
Jo Jahir Karna Pade,
Vo Dard Kaisa,
Aur Jo Dard Na Samaj Sake,
Vo Humdard Kaisa.