बार बार बिखरती हैं संवरती ही नहीं,
तेरी जुल्फें शायद मेरी उंगलियों का सहारा चाहती हैं.
बार बार बिखरती हैं संवरती ही नहीं,
तेरी जुल्फें शायद मेरी उंगलियों का सहारा चाहती हैं.
Baar baar bikharti hai sanwarti hi nahi,
Teri julfe shayad meri ungliyon ka sahara chahti hai.
