भीगी हैं मेरी उगंलिया मेरे ही अश्क़ में,
अब चमकते हुए चहरो पर भरोसा नहीं होता.
भीगी हैं मेरी उगंलिया मेरे ही अश्क़ में,
अब चमकते हुए चहरो पर भरोसा नहीं होता.
Bhigi hai meri ungliya mere hi ashq mai,
Ab chamakte huye chehro par bharosa nhi hota.
भीगी हैं मेरी उगंलिया मेरे ही अश्क़ में,
अब चमकते हुए चहरो पर भरोसा नहीं होता.
भीगी हैं मेरी उगंलिया मेरे ही अश्क़ में,
अब चमकते हुए चहरो पर भरोसा नहीं होता.
Bhigi hai meri ungliya mere hi ashq mai,
Ab chamakte huye chehro par bharosa nhi hota.