कभी साथ बैठो तो कहूँ कि दर्द क्या है,
अब यूँ दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे.
कभी साथ बैठो तो कहूँ कि दर्द क्या है,
अब यूँ दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे.
Kabhi saath baitho to kahun ki dard kya hai,
Ab yun door se puchoge to khairiyat hi kahenge.