तेरे पास बैठना भी एक इबादत,
तुझे दूर से देखना भी एक इबादत,
अब न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा,
तुझे हर घड़ी सोचना भी एक मेरी इबादत.
तेरे पास बैठना भी एक इबादत,
तुझे दूर से देखना भी एक इबादत,
अब न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा,
तुझे हर घड़ी सोचना भी एक मेरी इबादत.
Tere paas baithna bhi ek ibaadat,
Tujhe dur se dekhna bhi ek ibaadat,
Ab na mala, na mantar, na pooja, na sajda,
Tujhe har gadhi sochna bhi ek ibaadat.