जिन्दगीं में किसी का साथ काफी हैं,
कंधे पर किसी का हाथ काफी हैं,
दूर हो या पास… क्या फर्क पड़ता हैं,
“अनमोल रिश्तों”
का तो बस “एहसास” ही काफी हैं !
जिन्दगीं में किसी का साथ काफी हैं,
कंधे पर किसी का हाथ काफी हैं,
दूर हो या पास… क्या फर्क पड़ता हैं,
“अनमोल रिश्तों”
का तो बस “एहसास” ही काफी हैं !
Zindagi mein kisika saath kaafi hai,
kandhe par kisika haath kaafi hai,
door ho ya paas, kya fark padta hai,
"anmol rishton"
ka to bas ehsaas hi kaafi hai.