टूट सा गया है मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगे,
तो अब मैं इज़हार नहीं करता.
टूट सा गया है मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगे,
तो अब मैं इज़हार नहीं करती.
टूट सा गया है मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगे,
तो अब मैं इज़हार नहीं करता.
Tut sa gaya hai meri chahton ka wazood,
Ab koi acha bhi lage,
To ab main izhaar nahi karta.