वह कितना मेहरबान था,
कि हज़ारों गम दे गया,
हम कितने खुदगर्ज़ निकले,
कुछ ना दे सके उसे प्यार के सिवा.
वह कितना मेहरबान था,
कि हज़ारों गम दे गया,
हम कितने खुदगर्ज़ निकले,
कुछ ना दे सके उसे प्यार के सिवा.
Vah kitna meharbaan tha,
Ki hazaro gam de gaya,
Hum kitne khudgarz nikle,
Kuch na de sake use pyar ke siva.
